India Pakistan Ceasefire:10 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच एक “पूर्ण और तात्कालिक Ceasefire” की घोषणा की गई। यह घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की, जिन्होंने बताया कि यह समझौता अमेरिका के हस्तक्षेप और मध्यस्थता के बाद हुआ, जिसमें विदेश मंत्री मार्को रुबियो और उप राष्ट्रपति जेडी वेंस की अहम भूमिका रही।
टूरिस्ट बस हमले के बाद बढ़ा तनाव
संघर्ष की पृष्ठभूमि में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की अहम भूमिका रही, जिसमें 25 पर्यटकों समेत 26 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन को ज़िम्मेदार ठहराया और जवाब में व्यापक सैन्य कार्रवाई के तहत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) शुरू किया। इस टकराव में कम से कम 11 लोगों की मौत और 56 घायल हुए, जिनमें अधिकांश पाक अधिकृत कश्मीर से थे। हालात की गंभीरता को देखते हुए भारत और पाकिस्तान ने अंततः 10 मई को एक “India-Pakistan Ceasefire” यानी संघर्ष विराम पर सहमति जताई, जिससे क्षेत्र में तनाव कम हुआ।
विश्व नेताओं की प्रतिक्रिया: संयम और संवाद पर बल
संघर्ष विराम की घोषणा के बाद कई वैश्विक नेताओं और संगठनों ने इसे सकारात्मक कदम बताया। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरो ने दोनों देशों से “अधिकतम संयम” बरतने की अपील की।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने भी इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि विवादों का हल सिर्फ कूटनीति और संवाद से संभव है।
भारत का स्पष्ट रुख: संघर्ष विराम हमारे शर्तों पर
भारत सरकार ने संघर्ष विराम को अपनी कूटनीतिक जीत के रूप में प्रस्तुत किया है। भारत के सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर लिया गया और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं को सर्वोपरि रखा गया।
भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि संघर्ष विराम का अर्थ यह नहीं कि हम आतंकी संगठनों पर कार्रवाई रोक देंगे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने कहा, “सामरिक संतुलन को बनाए रखते हुए हम हर खतरे का जवाब देंगे।”
आगे की राह: स्थायी शांति की ओर?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष विराम फिलहाल एक “टेम्परेरी बफर ज़ोन” के तौर पर कार्य करेगा। यदि दोनों देश पारस्परिक विश्वास को बहाल करने और संवाद को प्राथमिकता देने में सफल होते हैं, तो यह 2021 में हुए संघर्ष विराम की तरह लंबे समय तक चल सकता है।
हालांकि, दोनों देशों के बीच कश्मीर मुद्दा, सीमा पार आतंकवाद, और पानी विवाद जैसे मूलभूत प्रश्न अब भी अनसुलझे हैं। यह संघर्ष विराम इन समस्याओं पर ठोस समाधान लाने की दिशा में एक अवसर हो सकता है—या केवल कुछ हफ्तों की शांति।